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ऐ जिंदगी, तू सच में बहुत ख़ूबसूरत है!

वक़्त वक़्त की बात है साहब....वक़्त सबका आता है!

फिर क्यों उसे “चाँद” और मुझे “आवारा” कहते हैं लोग!!!

तुम्हें वो टूट कर चाहने की आदत अब तक नहीं बदली!!

तो मेरा यार वहां का बादशाह होता!!

काट बैठे हैं, अपने ही हाथ की नब्ज़

हो जाए जिनसे मोहब्बत वो लोग कदर क्यों नहीं करते!

तुम सिर्फ मेरे बाकी सब तुम्हारा !

मुस्कुराना भी इक हादसा हो गया!!

मैं हूं , तुम हो, और कुछ की जरूरत क्या है!

दिल के ज़ख्मों की वज़ह क्या लिक्खूँ!!

काश! मेरा बचपन भी कोई अवार्ड होता !!

इंसान ख्वाहिशों से बंधा हुआ एक जिद्दी परिंदा है.!!

जो सिख जाता है वही हार जाता है।

मौहब्बत की मिसाल में,बस इतना ही कहूँगा ।

क़दर ना करना हक़ है तुम्हारा !

शिकायत जिंदगी से नहीं,शिकायत उनसे है जो जिंदगी में नहीं!!

Aansoo toh roz Gir ke Sukh jatey hain.

सौ बार कहा दिल ने, तुम दिल से नही कहते!!

Sirf ik baar aa Ke Mere Dil ki Aahat toh sunn !!