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फिर क्यों उसे “चाँद” और मुझे “आवारा” कहते हैं लोग!!!

Khuda Kare Saari Umr Mujhe Manzil Naa mile!!

तुम्हें वो टूट कर चाहने की आदत अब तक नहीं बदली!!

तो मेरा यार वहां का बादशाह होता!!

Mujhko Mujh Mein Jagah Nahi Milti!!

काट बैठे हैं, अपने ही हाथ की नब्ज़

हो जाए जिनसे मोहब्बत वो लोग कदर क्यों नहीं करते!

तुम सिर्फ मेरे बाकी सब तुम्हारा !

मुस्कुराना भी इक हादसा हो गया!!

मैं हूं , तुम हो, और कुछ की जरूरत क्या है!

दिल के ज़ख्मों की वज़ह क्या लिक्खूँ!!

काश! मेरा बचपन भी कोई अवार्ड होता !!

इंसान ख्वाहिशों से बंधा हुआ एक जिद्दी परिंदा है.!!